परिचय
योग प्रथाएं भारतीय ज्ञान की हजारों वर्ष पुरानी शैली हैं। हजारों मूर्तियाँ इसके संबंध में योग की स्थिति में अभी तक प्रमाणिक रूप में हैं। भगवत गीता में अनेकों बार योग शब्द का उल्लेख किया गया हैं। योग के साक्ष्य सिंधु घाटी सभ्यता तथा बौद्ध एवं जैन दर्शन में किसी न किसी रूप में प्राप्त हुए हैं। योग के प्रसिद्ध ग्रंथों में महर्षि पतंजलि द्वारा रचित योगसूत्र महत्वपूर्ण योग प्रथा का परिचय हैं।
योग प्रथाओं का उद्देश्य
योग प्रथाओं का एकमात्र उद्देश्य आत्मा-परमात्मा के मिलन द्वारा समाधि की अवस्था को प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त करना हैं। इसी को जानकर कई योग साधक साधना द्वारा मोक्ष, मुक्ति के मार्ग को प्राप्त कर लेते हैं। योग के अन्तर्गत यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि को साधक चरणबद्ध तरीके से पार करता हुआ कैवल्य अर्थात मोक्ष को प्राप्त कर जाता हैं।
योग प्रथाओं के प्रकार
योग अनादी काल से ही प्रचलन में रहा हैं। इस कारण योग की कई प्रथाएं प्रचलन में रही लेकिन मुख्यतः योग की चार प्रथाएं मानी जाती हैं -
1. भक्ति योग
2. ज्ञान योग
3. कर्म योग
4. राज योग
योग की अन्य प्रचलित प्रथाएं -
हठ योग
तंत्र योग
मंत्र योग
कुण्डलिनी योग
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