Wednesday, March 5, 2025

Unit III - Chapter 5 - ॐ ध्यान

परिचय

पौराणिक कथाओं के अनुसार ॐ ब्रह्मा ( निर्माता ) , विष्णु ( रक्षक ) और शिव ( मुक्तिदाता ) का प्रतीक हैं“ॐ ” के ध्यान से हमारे भीतर परमात्मा की दैवीय ऊर्जा शक्ति का विकास होता हैं। ॐ की ध्वनि को बीजमंत्र या ब्रह्मांड की प्रथम ध्वनी भी माना जाता हैं। इसलिए ॐ का ध्यान कर हम प्रकृति के साथ एक होकर आत्मा को परमात्मा से जोड़ कर मोक्ष प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।

ॐ ध्यान का उद्देश्य

ॐ ध्यान का उद्देश्य ही मोक्ष प्राप्त करना हैं। जीवन से मुक्त होकर मोक्ष की खोज कर ईश्वर की अनंत चेतना में विलीन हो जाना और मृत्यु भय से मुक्त होकर जीवन का आनंद लेते हुए जीना ही वास्तविक जीवन हैं। ॐ ध्यान के माध्यम से शरीर और मन को समझना आसान हैं। ॐ ध्यान द्वारा व्यक्ति अपने केंद्र में स्थिर होकर अपनी आत्म शक्ति को पहचान कर अनन्त गहराइयों में खो जाता हैं।

ॐ ध्यान का महत्व

ॐ ध्यान में ॐ की ध्वनि व्यक्ति की आत्मा में गहराई से पहुंचती हैं। जिससे उसकी चेतना पर एक अद्भुत प्रभाव पड़ता हैं। ॐ शब्द की प्रतिध्वनि से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती हैं। ॐ शब्द सुनने या उच्चारित करने से भावनात्मक शांति का अनुभव होने लगता हैं। ॐ की ध्वनि यौगिक परिभाषा के मुताबिक अ,उ और म अक्षरों से मिलकर बनी हैं।

ॐ ध्यान का प्रथम चरण

सर्वप्रथम ध्यान मुद्रा में बैठकर। शरीर को सीधा रखे आंखों को बंद कर हाथों को ज्ञान मुद्रा में घुटनों पर रखे और ॐ का उच्च स्वर में उच्चारण करे। ॐ शब्द का बार-बार उच्चारण करते जाना चाहिए। ॐ ध्वनि की तरंगों को शरीर के साथ-साथ मन को भी प्रभावित करना चाहिए और केवल मन ही नहीं बल्कि संपूर्ण वातावरण ॐ की ध्वनि से परिपूर्ण हो गया हो ऐसा आभास होना चाहिए।

ॐ ध्यान का द्वितीय चरण

इस प्रक्रिया में मौन रहकर केवल मानसिक रूप से ॐ शब्द को दोहराते हुए ॐ जप करना चाहिए। यह मन को शांत करता हैं। पहले चरण के नियमित अभ्यास करने से यह प्रक्रिया करने में आसानी होती हैं और मानसिक रूप से जप करना आसान हो जाता हैं। मानसिक जप के दौरान हमारा शरीर भी ॐ की ध्वनि से परिपूर्ण होने लगता हैं। और हमारे अंदर एकाग्रता की स्थिति प्राप्त हो जाती हैं।

ॐ ध्यान का तृतीय चरण

इस प्रक्रिया में शरीर और मन दोनों का उपयोग नहीं होता हैं। केवल साधरण रूप से ॐ का श्रवण किया जाता हैं। शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से ॐ के जप के बाद, ॐ की ध्वनि सुनना बहुत सरल हो जाता हैं जो व्यक्ति के हृदय से आती हैं। ऐसा प्रतीत होता हैं कि ध्वनि स्वयं से निकल रही हैं। इसे अजपा जप भी कहा जाता हैं। इस ध्यान के लिए धैर्य और अभ्यास की आवश्यकता होती हैं।

ॐ ध्यान के लाभ

ॐ ध्यान एक महत्त्वपूर्ण योगिक अभ्यास हैं। जो कि हमें प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से अनेक लाभ प्रदान करता हैं। यह न केवल मानसिक समस्याओं को नियंत्रित करने में सहायता प्रदान करता हैं बल्कि आध्यात्मिक अनुभव के सर्वोच्च शिखर तक पहुँचने में भी सहायता करता हैं। नकारात्मक भावनाएँ जैसे भय, क्रोध, अवसाद, तनाव, घबराहट, चिंता इत्यादि को कम कर एकाग्रता बढ़ाता हैं।

ॐ ध्यान की सावधानियां

  • ॐ ध्यान में ॐ का उच्चारण सही करें।
  • ॐ ध्यान मानसिक रूप से करें।
  • ॐ ध्यान आध्यात्मिक रूप से भी करें।
  • ॐ ध्यान आसन पर बैठकर करें।
  • ॐ ध्यान एकांत और शांति से करें।
  • ॐ ध्यान के दौरान कोई शारीरिक गतिविधि न करें।
  • ॐ ध्यान का समय धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए।

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