Tuesday, March 4, 2025

Unit III - Chapter 4 - श्वास ध्यान

परिचय

श्वास ध्यान जिसमें जागरूकता और शांति की स्थिति प्राप्त करने के लिए अपनी सांस का उपयोग किया जाता हैं। जो कई ध्यान की प्रथाओं का केंद्र बिंदु मानी जाती हैं। अन्य ध्यान तकनीक जिनके लिए दृश्य या मंत्र की आवश्यकता होती हैं। श्वास ध्यान पूरी तरह से स्वयं के सांस लेने के तरीके पर निर्भर करता हैं। यही सरलता प्रारंभिक श्वास ध्यान को सरल बनाने में मदद करती हैं।

श्वास ध्यान का उद्देश्य

श्वास ध्यान का उद्देश्य श्वास के तरीके को बदलना या नियंत्रित करना नहीं बल्कि इसका निरीक्षण करना हैं। यह मन को ध्यान से हटाने वाले विचारों को रोकता हैं और स्वयं की सांसों पर चिंतन करता हैं। यह अभ्यास तनाव से राहत दिलाकर हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर करता हैं। साथ ही जीवन का समग्र कल्याण करने में सहायता प्रदान करता हैं।

श्वास ध्यान का महत्व

कुछ आसान से तरीकों के साथ शांति के क्षणों का निर्माण करते हुए श्वास ध्यान तकनीक को जीवन में शामिल किया जा सकता हैं। इसके नियमित अभ्यास से हमें ध्यान केंद्रित करने और बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त करने में मदद मिल सकती हैं। क्योंकि श्वास ही हमारे शरीर में आंतरिक और बाह्य रूप से लगातार आवागमन करती रहती हैं और हमें जीवित रखती हैं।

श्वास ध्यान के चरण

श्वास ध्यान अभ्यास के माध्यम से हम अपनी सांसों के साथ गहरा संबंध बनाकर अपनी बौद्धिक क्षमता का विकास कर सकते हैं साथ ही यह हमारी आंतरिक शांति को बल देता हैं। श्वास ध्यान को शुरू करने से पहले प्रत्येक साँस को एक निश्चित संख्या तक गिनने से प्रारंभ किया जा सकता हैं साथ ही अन्य चरणों को भी ध्यान के दौरान महत्वपूर्ण माना जा सकता हैं जो निम्नलिखित हैं -

1. शांत स्थान

श्वास ध्यान करने के लिए एक शांत जगह का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं। ऐसी जगह चुनें जहां आप बिना किसी परेशानी के आराम से बैठ सकें या लेट सकें। अगर आप बिना किसी बाधा के ध्यान करने में सक्षम होना चाहते हैं तो हमेशा ऐसी जगह का चयन करना उचित होगा जो एकदम शांत हो और किसी भी प्रकार का व्यवधान न हो ताकि ध्यान करते समय मन केवल श्वास पर रहे।

2. आरामदायक स्थिति

अपने पैरों को ज़मीन पर सीधे करके एक कुर्सी पर बैठ सकते हैं, एक तकिये पर क्रॉस-लेग करके बैठें या एक समतल जगह पर लेट जाएं। सुनिश्चित करें कि आपकी रीढ़ सीधी हो। सांस के अच्छे प्रवाह को बढ़ाने के लिए आराम से अपनी भुजाओं को गोद में या अपने बगल के आसपास में धीरे से रख ले। इस स्थिति में हमेशा अपने शरीर को स्थिर रखने का प्रयास करना चाहिए।

3. आंखें बंद हो

आप अपनी आँखे कोमलता से बंद करे और ध्यान को अपने अंदर की ओर ले जाकर अपने शरीर और मस्तिष्क में क्या चल रहा है उस पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करना चाहिए। यह अभ्यास विचारों की गति को कम करता हैं। यदि आप चाहें तो अपनी आँखों को नीचे करके या अपने सामने किसी बिंदु पर धीरे से ध्यान केंद्रित करे या अपनी आँखों को भी बंद कर सकते हैं।

4. सांसों की गति पर ध्यान

अपनी सांसों की प्राकृतिक गति को बदलने की कोशिश किए बिना अपना ध्यान अपनी सांस पर केंद्रित करें। हवा की अनुभूति पर ध्यान दें। जब यह आपके नासिका छिद्रों से प्रवेश करती है तो आपके फेफड़ों को भरती हैं और जब आप साँस छोड़ते हैं तो यह फेफड़ों को खाली करती हैं। सांस लेते समय हवा की ठंडक और सांस छोड़ते समय उसकी गर्माहट को महसूस भी किया जा सकता हैं।

5. विचारों से बचे

ध्यान करते समय आपका मन भटकना स्वाभाविक हैं। इसलिए मन में आने वाले विचारों से बचे। यह ध्यान करने वाले नए व्यक्तियों में होना भी निश्चित हैं लेकिन जब भी आपको ऐसा लगे कि आपका ध्यान भटक गया है तो धीरे से इसे स्वीकार करें और अपना ध्यान वापस अपनी सांसों पर ले आए। यह आपके ध्यान को केंद्रित करने और उपस्थित रहने की क्षमता को मजबूत कर सकता हैं।

6. अभ्यास धीरे-धीरे बढ़ाए

श्वास ध्यान को एक निश्चित समय से शुरू करें लगभग पांच मिनट और प्रतिदिन धीरे-धीरे कुछ समय को बढ़ाते जाए। क्योंकि आप सांस ध्यान करते है तो स्वयं के साथ अधिक सहज हो सकते हैं। समय के साथ अपने अभ्यास को स्वाभाविक रूप से गहरा होने दें। श्वास ध्यान करने में किसी भी प्रकार की जल्दी न करे प्रतिदिन कुछ-कुछ समय श्वास ध्यान अभ्यास के लिए क्षमता अनुसार बढ़ाते जाए।

7. ध्यान समाप्ति आनंद से

जब आप अपना ध्यान समाप्त करने के लिए तैयार हों जाए तो धीरे-धीरे अपनी जागरूकता को अपने परिवेश में वापस आनंद के साथ ले आए। अपनी आँखें धीरे से खोलें और आप कैसा महसूस कर रहे हैं उस पर ध्यान केंद्रित करें। अपने मन और शरीर पर बिताए गए समय के लिए आभार व्यक्त करें। यह समापन आपको शांति और चेतना की भावना के साथ आनंद प्रदान करता हैं।

श्वास ध्यान के लाभ

  • हमें तनाव और चिंता से मुक्त करता हैं।
  • हमारी एकाग्रता को निरंतर बढ़ाता रहता हैं ।
  • भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करता हैं।
  • अनिद्रा को दूर कर नींद लाने में सहायक हैं।
  • समस्त तंत्रों के ताल मेल में सहायता करता हैं।
  • शारीरिक संवेदनाओं के प्रति सहायता करता हैं।
  • आंतरिक शांति और व्यक्तिगत विकास करता हैं।













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