Saturday, January 11, 2025

Unit I - Chapter 4.2- योग प्रथाएं - ज्ञान योग

परिचय

ज्ञान का अर्थ किसी व्यक्ति, वस्तु अथवा स्थान की जानकारी से हैं। ज्ञान योग वह मार्ग हैं जहां अन्तर्दृष्टि, अभ्यास और परिचय के माध्यम से वास्तविकता की खोज की जाती हैं। ज्ञान को प्रकाश के समान माना गया हैं। ज्ञान ही हैं जो किसी वस्तु को प्रकाशित करता हैं। जिस प्रकार दीपक अपने पास की वस्तु को प्रकाशित कर ज्ञान कराता हैं उसी प्रकार ज्ञान योग भी आत्मा को प्रकाशित करता हैं।

ज्ञान योग के उद्देश्य

  • आत्मा और परमात्मा की एकता का बोध कराना।
  • वास्तविक सत्य की खोज में सहायता प्रदान करना।
  • ईश्वर को प्राप्त करने की कला को सीखाना।
  • जीवन के सवालों के जवाब देने में सक्षम बनाना।
  • सत्य और असत्य के बीच बुद्धि को संतुलित रखना।
  • आत्म-खोज की आजीवन प्रक्रिया में रास्ता दिखाना।
  • मोक्ष प्राप्त करने के मार्ग का निरिक्षण करना।
ज्ञान योग का महत्व

ज्ञान को ईश्वर द्वारा प्रदान किया हुआ अर्थात् सत्य रूप में ही माना गया हैं। ज्ञान पर आधारित योग पद्धति को ज्ञान योग की संज्ञा दी जाती हैं। मोक्ष प्राप्त करने के मार्गों में सबसे महत्वपूर्ण धारा ज्ञान योग ही हैं। ज्ञान योगी मोह माया में न उलझ कर वास्तविक आत्म तत्व को जानकर मोक्ष प्राप्त करने की दिशा में सत्कर्म करते हुए मुक्ति प्राप्त करता हैं और जन्म मरण के पुण्य पाप से छुट जाता हैं।

ज्ञान योग का अभ्यास
  • गुरु या आध्यात्मिक शिक्षक से वेदान्त दर्शन सुनना।
  • ग्रंथों की शिक्षाओं पर चिंतन और मनन करना।
  • ब्रह्म और आंतरिक आत्मा का गहन अध्ययन करना।
  • स्वयं की अंतरात्मा पर गहराई से ध्यान लगाना।
  • भौतिक,सूक्ष्म, आध्यात्मिक शरीर के अंतर को समझना।
  • जीवन को केवल वास्तविकत रूप से ही देखना।
  • ईश्वरीय स्वरूप की निकटता का अनुभव करना।
ज्ञान योग के सिद्धांत
ज्ञान योग के चार सिद्धांत बताए हैं जो निन्मलिखित हैं-
  • विवेक - गुण और दोष का अन्तर कर पाना।
  • वैराग्य - त्याग, आत्म संयम, संन्यास की प्रक्रिया।
  • षट संपत्ति- स्वयं पर नियंत्रण की युक्तियां।
  • मुमुक्षत्व - ईश्वर प्राप्ति के लिए निरन्तर प्रयास करना।
षट संपत्ति के प्रकार
षट संपत्ति छः प्रकार की होती हैं-
  • शम - इन्द्रियों और मन का निग्रह।
  • दम - इन्द्रियों और मन पर नियन्त्रण।
  • उपरति - वस्तुओं से ऊपर उठना।
  • तितिक्षा - अटल रहना, अनुशासित होना।
  • श्रद्धा - पवित्र ग्रन्थों और गुरू के शब्दों पर विश्वास।
  • समाधान - निश्चय करना और प्रयोजन रखना।
ज्ञान योग की विशेषताएं
  • मन को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण।
  • आत्म-चिंतन के अभ्यास में सहायता प्रदान करना।
  • ईश्वरीय चेतना या परम सत्य का अनुभव देना।
  • बंधनों का ज्ञान करा कर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करना।
  • परमात्मा से जोड़कर उसकी माया का समझाना।
  • बुद्धि पर चढ़े अहंकार के आवरण को हटाना।
  • आंतरिक अंधकार में ज्ञान का प्रकाश करना।
ज्ञान योग के लाभ
  • भावनाओं पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती हैं।
  • बेहतर फ़ैसले लेने की क्षमता का विकास होता हैं।
  • स्वयं को जानकार अवसाद और तनाव कम होते हैं।
  • बुद्धि का विकास होकर बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।
  • अंतर्दृष्टि से आत्म जागरूकता प्राप्त होती हैं।
  • आत्मा और परमात्मा के संबंध का बोध होता हैं।
  • स्वयं में ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव होता हैं।

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