परिचय
कर्म योग ही वह योग है जिसके माध्यम से हम अपनी जीव आत्मा से जुड़ पाते हैं। कर्मयोग हमारे आत्मज्ञान को जागृत करता है। इसके बाद हम न केवल अपने वर्तमान जीवन के उद्देश्यों को बल्कि जीवन के बाद की अपनी गति का पूर्वाभास भी प्राप्त कर सकते हैं। इस योग में कर्म के द्वारा ईश्वर की प्राप्ति की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में निष्काम कर्म को सबसे महत्वपूर्ण बताया है।
कर्म योग के उद्देश्य
- कर्तव्य और कर्मो के प्रति समर्पण करना।
- कर्मों और इंद्रियों को वश में करना।
- सुख-दुख के चक्र से मुक्त होकर सम बुद्धि रहना।
- भविष्य के परिणामों की चिंता नहीं करना।
- मन को शुद्ध और अहंकार रहित रखना।
- निष्काम भाव से छल रहित कार्य करना।
- निःस्वार्थ रूप से बिना फल की इच्छा के कर्म करना।
कर्म योग का महत्व
श्रीमद्भगवद्गीता में कर्मयोग को सबसे सर्वश्रेष्ठ माना गया हैं। गृहस्थ और कर्मठ व्यक्ति के लिए यह योग अधिक उपयुक्त हैं। हम में से प्रत्येक किसी न किसी कार्य में लगा हुआ हैं परंतु अधिकांश व्यक्ति अपनी शक्तियों का अधिकतर भाग व्यर्थ खो देते हैं। क्योंकि हम कर्म के रहस्य को नहीं जानते। जीवन के लिए कर्म आवश्यक हैं। कर्म न करने वाले व्यक्ति को अक्सर आलसी कहा जाता है।
कर्म योग के सिद्धांत
कर्म योग के निम्नलिखित सिद्धांत हो सकते हैं-
- कार्य के प्रति सम्मान और कृतज्ञता रखना।
- ईमानदारी के साथ अपनी भूमिका का निर्वहन करना।
- आसक्ति या व्यक्तिगत इच्छाओं का त्याग करना।
- किसी फल की इच्छा बगैर कर्म को करते रहना।
- अहंकार को नियंत्रित कर निष्कपट रहना।
- बिना राग और द्वेष के कर्तव्यों का निर्वहन करना।
कर्म योग की विशेषताएं
- अहंकार से मुक्त होकर निस्वार्थ कर्म करना।
- जीवन को सार्थक बनाने का रास्ता बनाना।
- आसपास ईश्वर की उपस्थिति का आभास होना।
- जीवन के हर पहलू में दिव्यता का अनुभव होना।
- स्वयं के बारे में सोचे बिना केवल कर्तव्य करना।
- सही दिशा देकर जीवन को सार्थक बनाना।
- निःस्वार्थ कर्म करने के लिए प्रेरित करना।
कर्म योग के लाभ
- मन को शुद्ध और सात्विक बनाता हैं।
- शांति की भावना को बढ़ावा देता हैं।
- आनंद और संतुष्टि प्रदान करता हैं।
- अहंकार को त्यागने में मदद करता हैं।
- शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाता हैं।
- लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता हैं।
- कर्मफल से मुक्त कर कर्म करने की प्रेरणा देता हैं।
No comments:
Post a Comment