Thursday, January 16, 2025

Unit I- Chapter 6.1 - यौगिक शिथलीकरण

 परिचय

जीवन शक्ति बढ़ाने में विश्राम का अत्यधिक महत्व हैं। विश्राम का सीधा सा अर्थ हैं काम के बाद में शरीर को आराम देना। विश्राम करने से शरीर की थकी हुई मांसपेशियों का तनाव कम होता हैं और जटिल मानवीय कोशिका भी स्वस्थ रहती हैं। इसी विश्राम को यौगिक भाषा में शिथलीकरण कहा जाता हैं। इससे शरीर की प्रत्येक कोशिकाए पुनः उर्जावान हो जाती हैं।

शिथलीकरण का अर्थ

शारीरिक विश्राम के साथ मानसिक विश्राम की स्थिति को यौगिक भाषा में शिथलीकरण कहा जाता हैं। जो कि योगाभ्यास करते समय की जाने वाली अत्यंत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया हैं। अर्थात शरीर एवं मन को एक साथ शिथिल करने की क्रिया को शिथिलीकरण कहते हैं। इस क्रिया के करने से योगाभ्यास के दौरान होने वाली थकावट को दूर किया जाता हैं। ताकि आगे भी वैसी ही उर्जा बनी रहे।

शिथलीकरण का महत्व

शिथलीकरण की क्रिया योग अभ्यास करने दौरान हमें शारीरिक विश्राम के साथ साथ मानसिक विश्राम भी प्रदान करती हैं और हमारे शरीर को आगे की योगाभ्यास करने के लिए पुनः तैयार करती हैं। जो कि लगातार योगाभ्यास करने के कारण थक गया होता हैं या उसकी मांसपेशियों में आगे का कार्य करने की उर्जा न बची हो। शिथलीकरण की क्रिया संपूर्ण शरीर को एक नई उर्जा प्रदान करती हैं।

शिथलीकरण के प्रकार

यौगिक शिथलीकरण मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है-

  • दण्डासन - बैठकर या खड़े होकर करने वाले आसन के लिए
  • मकरासन - पेट के बल लेटकर किए जाने वाले आसन के लिए
  • शवासन - पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसन के लिए
दण्डासन की विधि

यह विश्रामदायक आसन की श्रेणी में आता हैं। इसे खड़े होकर और बैठकर किये जाने वाले आसनों मध्य आराम करने के लिए किया जाता हैं। यह बैठकर करे तो दोनों पैर में 1 से डेढ़ फीट का अंतर दोनों हथेलियां पीछे और सिर को पीछे की ओर रखते हुए धीरे धीरे लंबी और गहरी साँस ले यही आसन जब खड़े होकर करे तो दोनों हाथ पीछे और एक हाथ से दुसरे की कलाई पकड़ कर साँस लेना हैं।

मकरासन की विधि

समतल, आरामदायक और स्वच्छ स्थल पर चटाई बिछाकर पेट के बल लेट जाएं। फिर अपने कंधे और चेहरे को थोड़ा ऊपर उठाएं और अपनी कोहनियों को मोड़ते हुए दोनों बाजुओं पर विपरीत हथेलियां रखे। अब अपना चेहरा अपनी हथेलियों के बीच आराम से रख दे। अपने पैरों को सीधा और आपस में मिलाकर रखें। धीरे-धीरे सांस छोड़ना और अंदर लेना शुरू करें।

शवासन की विधि

समतल भूमि पर एक चटाई बिछाकर पीठ के बल लेट जाएँ दोनों हाथ अगल-बगल शरीर से हटाकर रखें। हथेलियाँ आसमान की ओर रहें, दोनों पैर सीधे रहें, एडियों में डेढ़-दो फीट का फासला रहे और पंजे खुले रहें। अब अपने नेत्र, होंठ कोमलता से बंद करके समस्त शरीर को ढीला छोड़ दें। धीरे-धीरे श्वास लें और छोड़े। और कोई भी विचार न करे।

शिथलीकरण के लाभ

यौगिक शिथलीकरण के अभ्यास से निम्न लाभ मिलते हैं-
  • मस्तिष्क शांत और तनाव से मुक्त रहता हैं।
  • अवसाद से राहत पाने में मदद करता हैं।
  • सिरदर्द, थकान और अनिद्रा को दूर करता हैं।
  • रक्तचाप कम करने में भी मदद करता हैं।
  • एकाग्रता और याददाश्त में सुधार लाता हैं।
  • शरीर को पुनः उर्जावान बनाने में मदद करता हैं।

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