परिचय
जीवन शक्ति बढ़ाने में विश्राम का अत्यधिक महत्व हैं। विश्राम का सीधा सा अर्थ हैं काम के बाद में शरीर को आराम देना। विश्राम करने से शरीर की थकी हुई मांसपेशियों का तनाव कम होता हैं और जटिल मानवीय कोशिका भी स्वस्थ रहती हैं। इसी विश्राम को यौगिक भाषा में शिथलीकरण कहा जाता हैं। इससे शरीर की प्रत्येक कोशिकाए पुनः उर्जावान हो जाती हैं।
शिथलीकरण का अर्थ
शारीरिक विश्राम के साथ मानसिक विश्राम की स्थिति को यौगिक भाषा में शिथलीकरण कहा जाता हैं। जो कि योगाभ्यास करते समय की जाने वाली अत्यंत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया हैं। अर्थात शरीर एवं मन को एक साथ शिथिल करने की क्रिया को शिथिलीकरण कहते हैं। इस क्रिया के करने से योगाभ्यास के दौरान होने वाली थकावट को दूर किया जाता हैं। ताकि आगे भी वैसी ही उर्जा बनी रहे।
शिथलीकरण का महत्व
शिथलीकरण की क्रिया योग अभ्यास करने दौरान हमें शारीरिक विश्राम के साथ साथ मानसिक विश्राम भी प्रदान करती हैं और हमारे शरीर को आगे की योगाभ्यास करने के लिए पुनः तैयार करती हैं। जो कि लगातार योगाभ्यास करने के कारण थक गया होता हैं या उसकी मांसपेशियों में आगे का कार्य करने की उर्जा न बची हो। शिथलीकरण की क्रिया संपूर्ण शरीर को एक नई उर्जा प्रदान करती हैं।
शिथलीकरण के प्रकार
यौगिक शिथलीकरण मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है-
- दण्डासन - बैठकर या खड़े होकर करने वाले आसन के लिए
- मकरासन - पेट के बल लेटकर किए जाने वाले आसन के लिए
- शवासन - पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसन के लिए
- मस्तिष्क शांत और तनाव से मुक्त रहता हैं।
- अवसाद से राहत पाने में मदद करता हैं।
- सिरदर्द, थकान और अनिद्रा को दूर करता हैं।
- रक्तचाप कम करने में भी मदद करता हैं।
- एकाग्रता और याददाश्त में सुधार लाता हैं।
- शरीर को पुनः उर्जावान बनाने में मदद करता हैं।
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