परिचय
नाड़ी का अर्थ होता हैं। वह पथ जिससे प्राण शक्ति शरीर में भ्रमण करती हैं और शोधन का अर्थ हैं शुद्धि। अर्थात नाड़ी शोधन प्राणायाम से नाड़ियों की शुद्धि होती हैं। अनुलोम विलोम प्राणायाम या नाड़ी शोधन प्राणायाम एक ऐसी प्रक्रिया हैं जो हमारे शरीर की समस्त नाड़ियों को साफ़ कर ठीक प्रकार से संचालित करने में मदद करती हैं और इस प्रक्रिया से हमारा मन शांत होता हैं।
अनुलोम विलोम की विधि
शांत चित्त होकर पद्मासन, सुखासन, वज्रासन या जिस भी ध्यानात्मक आसन में स्थिर होकर बैठ सकें उस आसन में बैठ जाएं। मेरूदण्ड व सिर को सीधा रखें। दायें हाथ के अंगूठे से दायें नासिका छिद्र को बन्द करें। बायें नासिका से पूरक (साँस लेना) करें और बाएं नासिका को उंगुली से बंद कर दाएं से रेचक (साँस छोड़ना ) करें फिर दाएं से पूरक और बाएं से रेचक करें। सांस की गति धीमी रखे।
अनुलोम विलोम के लाभ
- यह प्राणायाम मन को शांत और केंद्रित करता हैं।
- श्वसन प्रणाली की समस्याओं से मुक्त करता हैं।
- मानसिक तनाव को दूर करता हैं।
- मस्तिष्क की बुद्धि क्षमता का विकास करता हैं।
- नाड़ियों की शुद्धि कर प्राण ऊर्जा का प्रवाह करता हैं।
- शरीर का तापमान बनाए रखने में मदद करता हैं।
- ध्यान के अभ्यास में यह प्राणायाम लाभप्रद हैं।
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