परिचय
शीतली का अर्थ हैं शीतलता। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हैं, यह प्राणायाम पूरे शरीर को शीतलता प्रदान करता हैं। इसलिए इस प्राणायाम को शीतली प्राणायाम कहा जाता हैं। यह प्राणायाम विशेष तौर पर शरीर के तापमान को कम करने में सहायता प्रदान करता हैं। इस प्राणायाम के अभ्यास से न केवल भौतिक शरीर को ठंडक मिलती हैं बल्कि यह मस्तिष्क को भी शांत रखने का कार्य करता है।
शीतली प्राणायाम की विधि
इस प्राणायाम के लिए सबसे पहले पद्मासन या किसी भी ध्यानात्मक आसन में बैठ जाएं। आंखों को कोमलता से बंद करें। अब अपने हाथों को ज्ञानमुद्रा में घुटनों पर रखें और जिह्वा को दोनों किनारों से मोड़कर नली के आकार का बना लें। नली के आकार की जिह्वा से श्वास अंदर खींचकर फेफड़ों को अपनी पूरी क्षमता के साथ भर लें और मुंह बंद कर लें। तथा नासिका से धीरे धीरे सांस को छोड़े।
शीतली प्राणायाम के लाभ
- तनाव को कम करने में सहायता प्रदान करता हैं।
- चिंता को दूर करने में मदद करता हैं।
- क्रोध पर नियंत्रण करने में सहायक हैं।
- भूख और प्यास को नियंत्रित करता हैं।
- रक्तचाप को कम करने में सहायता प्रदान करता हैं।
- शरीर को शीतलता प्रदान करता हैं।
- एक शांत जगह का चुनाव करना चाहिए।
- प्राणायाम करते समय रीढ़ की हड्डी को सीधा रखना चाहिए।
- शीतली प्राणायाम केवल गर्मी के मौसम करना चाहिए।
- अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, जुखाम, खांसी आदि में नहीं करना चाहिए।
- जो जीभ को मोड़ नहीं सकते उनको शीतली की जगह सीत्कारी प्राणायाम करना चाहिए।
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